कवि वाहिद अली वाहिद की कविता
नीरज चौपड़ा ने एथलेटिक्स में भाला फेंक प्रतियोगिता मेंं गोल्ड मेडल 👑 जीतकर देश व देशवासियों को गौरवान्वित किया है । 💪🚩
यह क्षण सभी भारतीयों के लिए उल्लास का क्षण है । इसी अवसर पर कवि वाहिद अली वाहिद जी की कारगिल युद्ध के दौरान लिखी गई कविता की पंक्तिया हर भारतीय दोहरा रहा है - " तू फेंक जहां तक भाला जाएं " । तो आइए पढ़ते है वाहिद जी की पूरी कविता को --
कब तक बोझ संभाला जाए
द्वन्द कहां तक टाला जाए।।
दूध छीन बच्चों के मुख से
क्यों, नागों को पाला जाए।।
दोनों ओर लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाए।।
तू राणा का वंशज है तो
फेंक जहां तक भाला जाए।।
इस बिगड़ैल पड़ोसन को भी
फिर शीशे में ढाला जाए।।
तेरे-मेरे दिल पर ताला
राम करें या ताला जाए।।
'वाहिद के घर दीप जले तो
मंदिर तक उजियाला जाए।।
जय हिन्द !
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